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मिनिकॉय द्वीप |
चर्चा में क्यों
- 25–26 अगस्त 2025 को लक्षद्वीप के मिनिकॉय द्वीप पर खुले मैदान में जमा कचरे में आग लग गई।
मिनिकॉय द्वीप के बारे में
- मिनिकॉय, जिसे स्थानीय रूप से मालिकु (Maliku) कहा जाता है, लक्षद्वीप का दूसरा सबसे बड़ा और सबसे दक्षिणी द्वीप है।
- इसका आकार अर्धचंद्राकार (crescent-shaped) माना जाता है, और यही विशिष्ट आकृति इसे द्वीपीय भू-आकृति के दृष्टि से अलग पहचान देती है।
- द्वीप का कुल भू-क्षेत्रफल लगभग 4.80 वर्ग किलोमीटर दर्ज है।
भौगोलिक स्थिति
- मिनिकॉय नौ-डिग्री चैनल (9° Channel) के पास स्थित है, जो विश्व के व्यस्ततम समुद्री मार्गों में से एक माना जाता है।
- यह द्वीप मालदीव के उत्तरीतम द्वीप से लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर और कोच्चि से लगभग 398 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित है, जिसके कारण इसका सामरिक तथा समुद्री परिवहन महत्त्व और बढ़ जाता है।
लैगून व स्थलाकृति
- द्वीप के पश्चिमी भाग में विशाल लैगून स्थित है, जिसकी अधिकतम चौड़ाई लगभग 6 किलोमीटर तक बताई जाती है।
- इस लैगून में दो प्रवेशद्वार एक पश्चिमी ओर और दूसरा उत्तरी छोर पर निर्धारित हैं, तथा लैगून का क्षेत्रफल लगभग 30.60 वर्ग किलोमीटर माना जाता है।
- मिनिकॉय की लंबाई लगभग 11 किलोमीटर है, जबकि समुद्र-तल से ऊँचाई पश्चिम की ओर करीब 2 मीटर और पूर्वी हिस्से में लगभग 3–4 मीटर तक आँकी गई है।
ऐतिहासिक धरोहर
- मिनिकॉय का ऐतिहासिक लाइटहाउस (प्रकाश-स्तंभ) भारत के प्राचीन प्रकाश-स्तंभों में गिना जाता है।
- इसका औपचारिक उद्घाटन 2 फ़रवरी 1885 को ब्रिटिश शासनकाल में किया गया था।
- यह प्रकाश-स्तंभ आज भी समुद्री नौवहन के लिए एक महत्त्वपूर्ण मार्गदर्शक चिह्न के रूप में कार्य करता है।
सामाजिक संरचना
- मिनिकॉय के सुव्यवस्थित गाँव पारम्परिक रूप से “अवाह (Avah)” कहलाते हैं ।
- प्रत्येक अवाह का नेतृत्व मूपन/बोडुकाका (Moopan/Bodukaka) के हाथों में होता है, जो सामुदायिक जीवन और निर्णय-प्रक्रिया का केंद्र होता है, और हर गाँव का अपना गाँव-घर (Village House) निर्धारित रहता है।
द्वीप पर कुल 10 गाँव सूचीबद्ध हैं—
- बादा, आउमागु, बोडुआथिरी, रममेदु, सेदिवालु, अलूदी, फुंहिलोल, कुदेही, फ़ालेस्सेरी और केंडिपार्टी—जिनकी ग्राम्य संरचना और समुदाय-केंद्रित व्यवस्थाएँ मिनिकॉय की विशिष्ट सामाजिक पहचान को दर्शाती हैं।
भाषा-परिदृश्य
- लक्षद्वीप के अधिकांश द्वीपों में जहाँ मलयालम प्रमुखतः बोली जाती है, वहीं मिनिकॉय में “महाल/धिवेही (Mahl/Dhivehi)” भाषा प्रचलित है।
- धिवेही थाना (Thaana) लिपि में लिखी जाती है।
- मिनिकॉय भारत का एकमात्र ऐसा समुदाय माना जाता है जहाँ महल/धिवेही भाषा स्थानीय बोलचाल और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का प्रमुख माध्यम है, जबकि हिंदी और अंग्रेज़ी का प्रयोग भी प्रशासनिक एवं शैक्षिक संदर्भों में देखा जाता है।
लोक-संस्कृति
- मिनिकॉय की सांस्कृतिक पहचान उसके लोक-नृत्यों और समुद्री परम्पराओं से सजीव रूप में सामने आती है।
- यहाँ के प्रमुख नृत्य लावा (Lava), थाारा/थारा (Thaara), डंडी (Dandi), फुली (Fuli) और बंडिया (Bandiya) माने जाते हैं।
- द्वीप की पारम्परिक जाहधोनी (Jahadhoni) नावें—अतिथि-स्वागत, उत्सवों और द्वीपीय पिकनिक के अवसरों पर स्थानीय जीवन-पद्धति और समुद्री संस्कृति का सौंदर्यपूर्ण प्रतीक प्रस्तुत करती हैं।
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प्रश्न :मिनिकॉय द्वीप के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
- यह लक्षद्वीप का दूसरा सबसे बड़ा और सबसे दक्षिणी द्वीप है, जिसे स्थानीय रूप से “मालिकु” कहा जाता है।
- यहाँ पर प्रचलित स्थानीय भाषा मलयालम है, जबकि हिंदी और अंग्रेज़ी का प्रयोग नहीं किया जाता।
- इसका ऐतिहासिक लाइटहाउस, जो 1885 में ब्रिटिश शासनकाल में शुरू हुआ था, आज भी समुद्री नौवहन के लिए महत्त्वपूर्ण है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
A. केवल 1 और 2
B. केवल 2 और 3
C. केवल 1 और 3
D. 1, 2 और 3 सभी
उत्तर : C. केवल 1 और 3
व्याख्या:
- कथन 1 सही है → मिनिकॉय लक्षद्वीप का दूसरा सबसे बड़ा तथा सबसे दक्षिणी द्वीप है, जिसे “मालिकु” कहा जाता है।
- कथन 2 गलत है → यहाँ पर महाल/धिवेही भाषा बोली जाती है, न कि मलयालम। साथ ही प्रशासनिक व शैक्षिक संदर्भों में हिंदी और अंग्रेज़ी का भी प्रयोग होता है।
- कथन 3 सही है → मिनिकॉय का लाइटहाउस (1885) ब्रिटिश काल में बना था और आज भी समुद्री नौवहन हेतु मार्गदर्शक चिह्न है।