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2 September 2025 Current Affairs

  Topic : भारत का कैंसर मैप: एक विश्लेषण     चर्चा में क्यों :  विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, “वर्तमान में 30% से 50% कैंसर को जोखिम कारकों से बचाव और प्रभावी रोकथाम रणनीतियों के माध्यम से रोका जा सकता है।” भारत में कैंसर की व्यापकता पर आधारित एक हालिया रिपोर्ट से यह सामने आया है कि कैंसर एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है, जिसमें क्षेत्रीय असमानताएं और सामाजिक-आर्थिक कारण प्रमुख भूमिका निभाते हैं। UPSC पाठ्यक्रम: प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्व की समसामयिक घटनाएँ। मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन II, III: स्वास्थ्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे- विकास और उनके अनुप्रयोग पृष्ठभूमि भारत में कैंसर की निगरानी के लिए ICMR–नेशनल सेंटर फॉर डिज़ीज़ इन्फ़ॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च (NCDIR) द्वारा कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम संचालित किया जाता है।  इस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 1981 में की गई थी और इसका उद्देश्य कैंसर की घटनाओं, मृत्यु दर और उपचार की सफलता का आकलन करना है। संविधान के अनुसार जन स्वास्थ्य राज्य सूची का विषय है, किंतु अनुच्छेद 47 के अंतर्गत राज्य को पोषण और जनस्वास्थ्य सुधार की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।  अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार माना है।  इस प्रकार कैंसर नियंत्रण केंद्र और राज्यों के बीच सहयोगात्मक संघवाद (Cooperative Federalism) का विषय है। 1. भारत में कैंसर का मौजूदा परिदृश्य भारत में कैंसर के मामलों पर आधारित 43 कैंसर रजिस्ट्री के विश्लेषण से यह सामने आया है कि किसी व्यक्ति के जीवनकाल में कैंसर विकसित होने का जोखिम लगभग 11 प्रतिशत है।  वर्ष 2024 में अनुमानित 15.6 लाख नए कैंसर मामलों और लगभग 8.74 लाख मौतों की सूचना दर्ज की गई।  ये रजिस्ट्री देश की 10 से 18 प्रतिशत आबादी को कवर करती हैं और 23 राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों में संचालित होती हैं। 2. 2015–2019 का कैंसर डेटा और रुझान साल 2015 से 2019 के बीच एकत्र किए गए आंकड़ों में लगभग 7.08 लाख कैंसर मामलों और 2.06 लाख मौतों को दर्ज किया गया।  इस अध्ययन को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) दिल्ली, टाटा मेमोरियल और अड्यार कैंसर संस्थान जैसे प्रमुख शोध संस्थानों के विशेषज्ञों ने पूरा किया।  कोविड-19 महामारी के प्रभाव के कारण वर्ष 2020 के आंकड़े इसमें शामिल नहीं किए गए। 3. लिंग आधारित असमानताएँ भारत में महिलाओं में कैंसर के 51.1 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए, लेकिन मौतों का प्रतिशत केवल 45 रहा।  इसका कारण यह है कि महिलाओं में पाए जाने वाले प्रमुख कैंसर जैसे स्तन और गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर आसानी से पहचाने और इलाज किए जा सकते हैं।  इसके विपरीत पुरुषों में सामान्य कैंसर जैसे फेफड़े और पेट का कैंसर देर से पकड़ में आते हैं और इनका परिणाम अपेक्षाकृत अधिक घातक होता है। 4. पुरुषों में मुँह का कैंसर पुरुषों में अब मुँह का कैंसर सबसे सामान्य कैंसर बन चुका है।  यह फेफड़ों के कैंसर से भी अधिक पाया जा रहा है। तम्बाकू सेवन में कमी (2009–10 में 34.6% से घटकर 2016–17 में 28.6% तक) आने के बावजूद मुँह के कैंसर में वृद्धि देखी जा रही है।  इसका कारण तम्बाकू के प्रभाव का लंबी अवधि में सामने आना और शराब जैसे अन्य जोखिम कारक हैं। 5. पूर्वोत्तर भारत : कैंसर का हॉटस्पॉट पूर्वोत्तर भारत, विशेषकर मिज़ोरम, देश का कैंसर हॉटस्पॉट है।  यहाँ पुरुषों में जीवनकाल का जोखिम 21.1 प्रतिशत और महिलाओं में 18.9 प्रतिशत तक दर्ज किया गया है।  इसके पीछे उच्च तम्बाकू सेवन, अस्वस्थ आहार (फर्मेंटेड मांस, धूम्रित भोजन, अत्यधिक मसाले और गर्म पेय) तथा मानव पैपिलोमा वायरस (HPV), Helicobacter pylori और हेपेटाइटिस जैसी संक्रामक बीमारियों की अधिकता जिम्मेदार है। 6. कैंसर का भौगोलिक वितरण कैंसर का वितरण भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न प्रकार से दिखाई देता है। हैदराबाद में स्तन कैंसर की दर सबसे अधिक 54 प्रति 1,00,000 है। ऐज़ॉल में गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर 27.1 प्रति 1,00,000 पर सबसे अधिक है। श्रीनगर में पुरुषों में फेफड़ों का कैंसर 39.5 प्रति 1,00,000 पाया गया जबकि महिलाओं में ऐज़ॉल में इसकी दर 33.7 है। अहमदाबाद में पुरुषों में मुँह का कैंसर सबसे अधिक 33.6 है, जबकि महिलाओं में ईस्ट खासी हिल्स में यह दर 13.6 पाई गई। श्रीनगर में प्रोस्टेट कैंसर की दर 12.7 प्रति 1,00,000 दर्ज की गई। कैंसर क्या है? कैंसर बीमारियों का एक व्यापक समूह है,जो शरीर में कोशिकाओं के अनियंत्रित विकास और विभाजन के कारण होने वाली बीमारी है।  यह तब होता है जब सामान्य कोशिकाओं के DNA में उत्परिवर्तन होता है, जिससे अनियंत्रित कोशिका विभाजन होता है।   कैंसर के 100 से अधिक प्रकार हैं, और वे शरीर के लगभग किसी भी भाग में हो सकते हैं। ट्यूमर: कैंसर कोशिकाओं का एक समूह ट्यूमर बना सकता है, जो सौम्य (गैर-कैंसरयुक्त) या घातक (कैंसरयुक्त) हो सकता है। मेटास्टेसिस: घातक ट्यूमर मूल स्थान से शरीर के अन्य क्षेत्रों में फैल सकता है। कैंसर के प्राथमिक कारण कैंसर के विकास में कई जोखिम कारक योगदान करते हैं, लेकिन सटीक कारण अक्सर अज्ञात रहता है। कुछ प्राथमिक कारणों में शामिल हैं: तम्बाकू का उपयोग: धूम्रपान सबसे महत्वपूर्ण जोखिम कारक है, विशेष रूप से फेफड़े, मुँह, गले और एसोफैजियल कैंसर के लिए। रेडिएशन एक्सपोजर:  एक्स-रे, रेडॉन गैस और पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आना शामिल है, जो DNA  को नुकसान पहुंचा सकते हैं। संक्रमण: मानव पेपिलोमावायरस (HPV) और हेपेटाइटिस B और C जैसे वायरस गर्भाशय ग्रीवा और यकृत कैंसर जैसे कैंसर का कारण बन सकते हैं। आनुवंशिकी: विरासत में मिली आनुवंशिक उत्परिवर्तन, जैसे कि BRCA1 और BRCA2 जीन, स्तन और डिम्बग्रंथि के कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं। पर्यावरणीय कारक: रसायनों (एस्बेस्टस, बेंजीन) और प्रदूषकों के संपर्क में आने से कैंसर हो सकता है। जीवनशैली कारक: खराब आहार, शारीरिक निष्क्रियता, शराब का सेवन और मोटापा कई प्रकार के कैंसर से जुड़े हैं। आयु: मस्तिष्क ट्यूमर वृद्ध वयस्कों में अधिक आम है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है। कुछ प्रकार, जैसे मेडुलोब्लास्टोमा, बच्चों में अधिक आम हैं। ब्रेन कैंसर के बारे में         ब्रेन कैंसर का मतलब है मस्तिष्क में असामान्य कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि, जिससे ट्यूमर का निर्माण होता है।  ये ट्यूमर या तो प्राथमिक (मस्तिष्क में उत्पन्न होने वाले) या द्वितीयक (मेटास्टेटिक, शरीर के अन्य भागों से फैलने वाले) हो सकते हैं।  प्राथमिक ब्रेन कैंसर मस्तिष्क की

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5 August 2025 Current Affairs

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना में बड़ा बदलाव: बटालियन स्तर पर ड्रोन तैनात   चर्चा में क्यों : मई 2025 में पाहलगाम आतंकी हमले के बाद चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर से मिली सीख के आधार पर भारतीय सेना अब संगठनात्मक पुनर्गठन करने जा रही है। इसमें ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम को बटालियन स्तर पर मानक हथियार बनाना शामिल है।  इसमें नई लाइट कमांडो बटालियन, रुद्र ब्रिगेड, आधुनिक आर्टिलरी यूनिट और विशेष ड्रोन यूनिट भी बनाई जाएंगी। UPSC पाठ्यक्रम: मुख्य विषय: आईटी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टेक्नोलॉजी, जैव-टेक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित मुद्दों के क्षेत्र में जागरूकता। ड्रोन क्या हैं? ड्रोन, जिन्हें मानव रहित हवाई वाहन (UAV) के रूप में भी जाना जाता है, वे विमान हैं जो बिना किसी मानव पायलट के संचालित हो सकते हैं।  उन्हें या तो दूर से नियंत्रित किया जा सकता है या स्वायत्त रूप से उड़ाया जा सकता है जब उनकी उड़ान योजनाओं को GPS और सॉफ़्टवेयर-नियंत्रित सिस्टम का उपयोग करके प्रोग्राम किया जाता है। ड्रोन का वर्गीकरण ड्रोन नियम, 2021 के तहत ड्रोन का वर्गीकरण उनके वजन के आधार पर किया गया है। 1. नैनो ड्रोन :  वजन सीमा: 250 ग्राम या उससे कम। मुख्य विशेषताएँ: ये सबसे छोटे ड्रोन हैं, हल्के वजन के हैं और अक्सर शौकिया उड़ान और फ़ोटोग्राफ़ी जैसे मनोरंजक उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाते हैं। नियमन:  कम जोखिम और छोटे आकार की वजह से, इन पर न्यूनतम नियामक शर्तें लागू होती हैं। 2. माइक्रो ड्रोन: वजन सीमा: 250 ग्राम से 2 किलोग्राम तक। मुख्य विशेषताएँ: नैनो ड्रोन से थोड़े बड़े, माइक्रो ड्रोन छोटे पैमाने के वाणिज्यिक संचालन, जैसे हवाई फ़ोटोग्राफ़ी, सर्वेक्षण या निरीक्षण के लिए उपयुक्त हैं। नियमन: नैनो ड्रोन की तुलना में संचालन के लिए अतिरिक्त अनुमतियों की आवश्यकता होती है। 3. छोटा ड्रोन: वजन सीमा: 2 किलोग्राम से 25 किलोग्राम तक। मुख्य विशेषताएँ: इन ड्रोन का उपयोग उन्नत वाणिज्यिक अनुप्रयोगों, जैसे कि कृषि (कीटनाशकों का छिड़काव), मानचित्रण और वितरण सेवाओं के लिए किया जाता है। विनियमन: ऑपरेटरों को विस्तृत अनुमति और परिचालन अनुपालन की आवश्यकता होती है। 4. मध्यम ड्रोन: वजन सीमा: 25 किलोग्राम से अधिक और 150 किलोग्राम तक। मुख्य विशेषताएँ: मध्यम ड्रोन का उपयोग औद्योगिक और रक्षा अनुप्रयोगों में किया जाता है, जैसे कि महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की निगरानी या टोही। विनियमन: इन ड्रोन का दुरुपयोग या गलत तरीके से इस्तेमाल किए जाने पर अधिक नुकसान होने की संभावना के कारण ये सख्त विनियमन के अधीन हैं। 5. बड़ा ड्रोन: वजन सीमा: 150 किलोग्राम से अधिक। मुख्य विशेषताएँ: बड़े ड्रोन मुख्य रूप से सैन्य और औद्योगिक उद्देश्यों, जैसे कि कार्गो परिवहन, निगरानी या लड़ाकू मिशनों के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। विनियमन: उनके आकार और क्षमताओं के कारण, उन्हें व्यापक अनुमति और प्रमाणन सहित उच्चतम स्तर के विनियामक अनुपालन की आवश्यकता होती है। ड्रोन प्रणाली का विकास भारत खुफिया, निगरानी और टोही (आईएसआर) संचालन को बढ़ाने के लिए अपने मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) क्षमताओं को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रहा है।  तापस ड्रोन आर्चर सशस्त्र यूएवी मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस भारत की आधुनिक युद्ध रणनीति में ड्रोन की भूमिका भारत की सैन्य रणनीति अब ड्रोन-केंद्रित युद्ध पर आधारित होती जा रही है। इस बदलाव के पीछे मुख्य कारण घरेलू अनुसंधान एवं विकास (R&D) में तेजी, ड्रोन आयात पर 2021 से लागू प्रतिबंध और ड्रोन एवं उनके कंपोनेंट्स के लिए उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना है। सितंबर 2021 में शुरू हुई इस PLI योजना के तहत 2021-22 से 2023-24 तक तीन वित्तीय वर्षों में कुल ₹120 करोड़ का प्रावधान किया गया। इस योजना ने घरेलू उत्पादन और AI-आधारित स्वायत्त ड्रोन तकनीक को बढ़ावा दिया। भविष्य के युद्ध अब AI-आधारित स्वायत्त ड्रोन और नेटवर्क-सेंट्रिक ऑपरेशन पर अधिक निर्भर होंगे और भारत इसके लिए मजबूत आधार तैयार कर रहा है। बटालियन स्तर पर ड्रोन यूनिट मई 2025 में पाहलगाम आतंकी हमले के बाद संचालित ऑपरेशन सिंदूर ने स्पष्ट कर दिया कि आधुनिक युद्ध में ड्रोन का उपयोग निर्णायक है। इस अभियान से सीख लेकर भारतीय सेना ने निर्णय लिया कि इंफेंट्री, आर्मर्ड और आर्टिलरी बटालियनों में UAV और काउंटर-UAV सिस्टम को मानक हथियार बनाया जाएगा। वर्तमान में ड्रोन को द्वितीयक हथियार के रूप में प्रयोग किया जाता है और इनके संचालन के लिए सैनिकों को उनके मूल कार्यों से हटाना पड़ता है। नई संरचना के तहत हर यूनिट में समर्पित ड्रोन ऑपरेटिंग टीम बनाई जाएगी, जिससे सैनिक विशेष प्रशिक्षण लेकर केवल ड्रोन संचालन पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे। इंफेंट्री बटालियनों में पलटन और कंपनी स्तर पर निगरानी ड्रोन लगाए जाएंगे और इसके लिए लगभग 70 सैनिकों को पुनः आवंटित किया जाएगा। ड्रोन खरीद और सप्लाई चेन का संस्थानीकरण भारतीय सेना का उद्देश्य ड्रोन और अगली पीढ़ी के उपकरणों को मानक सैन्य वस्तु के रूप में शामिल करना है। इस कदम से ड्रोन की नियमित खरीद सुनिश्चित होगी और एक स्थायी सप्लाई चेन विकसित होगी। इससे आपातकालीन या एड-हॉक खरीद पर निर्भरता कम होगी और लंबी अवधि के लिए सतत युद्ध क्षमता विकसित की जा सकेगी। भैरव लाइट कमांडो बटालियन का गठन भारतीय सेना 30 नई लाइट कमांडो बटालियनों का गठन कर रही है, जिन्हें भैरव बटालियन कहा जाएगा। प्रत्येक बटालियन में 250 सैनिक होंगे, जो विशेष मिशनों के लिए प्रशिक्षित होंगे। इन बटालियनों को विभिन्न कमांड्स के अंतर्गत तैनात किया जाएगा ताकि विशेष क्षेत्रों में तेज़ी से आक्रामक कार्रवाई की जा सके। रुद्र ब्रिगेड : स्वतंत्र और समन्वित युद्ध संरचना भारतीय सेना मौजूदा ब्रिगेड्स को पुनर्गठित कर रुद्र ब्रिगेड बनाएगी। इन ब्रिगेड्स में इंफेंट्री, आर्मर्ड, आर्टिलरी, UAVs और लॉजिस्टिक तत्व एकीकृत होंगे। रुद्र ब्रिगेड को इस तरह तैयार किया जाएगा कि वह विविध भौगोलिक परिस्थितियों में स्वतंत्र रूप से संचालन कर सके। यह संरचना पारंपरिक और हाइब्रिड दोनों प्रकार के युद्धों के लिए उपयुक्त होगी। आर्टिलरी का आधुनिकीकरण : ड्रोन बैटरियां और दिव्यास्त्र यूनिट भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट में बड़े बदलाव किए जा रहे हैं। नई योजना के तहत दो विस्तारित गन बैटरियां और तीसरी ड्रोन बैटरी बनाई जाएगी, जिसमें निगरानी और लड़ाकू ड्रोन शामिल होंगे। दिव्यास्त्र बैटरियां बनाई जाएंगी, जिनमें लंबी दूरी की तोपें, लूटेरिंग म्यूनिशन और एंटी-ड्रोन सिस्टम शामिल होंगे। इन बैटरियों का उद्देश्य गहराई वाले क्षेत्रों में लक्ष्य को भेदना और क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना होगा। आर्मर्ड, मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री और इंजीनियरिंग यूनिट्स का पुनर्गठन आर्मर्ड और मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री में रिकॉन्नेसेंस प्लाटून को निगरानी और स्ट्राइक ड्रोन से लैस किया जाएगा। इंजीनियर

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